आज हम ख़ुशी और संतुष्टि में अंतर के बारे में बार करेंगे. क्या खुशी और संतुष्टि, happiness और sense of satisfaction या fulfillment एक ही बात है.
क्या वो लोग जो खुश है वो उतने ही संतुष्ट भी है? शायद नहीं…. में ऐसा अनुभव कर रहा हु की आज लोग खुश तो है पर शायद संतुष्ट नहीं…खास कर females और young जनरेशन, अंदर से बहुत खाली-खाली है… most of us are not fulfilled और complete from inside
और बड़ी समस्या यह है की हम समझ भी नहीं पा रहे की हम अधूरे, खाली-खाली से क्यों है?
इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, हम एक उदाहरण लेते है. एक क्रिकेट टीम में कितने खिलाडी होते है? 11? actually एक क्रिकेट टीम में 12 खिलाडी होते है. अब कल्पना करें कि आप भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा हैं, लेकिन 11 खेलने वाले खिलाडी में शामिल नहीं हैं। आप भारतीय क्रिकेट टीम के बारहवें सदस्य हैं। क्या बारहवें खिलाडी के रूप में भी भारत की क्रिकेट टीम का हिस्सा होना शानदार नहीं है? निश्चित रूप से यह है। लेकिन क्या आप बारहवें खिलाडी की भावना और ग्यारह खेलनेवाले खिलाडीयो की भावना में अंतर को समझ सकते हैं। निश्चित रूप से, हर खिलाडी टीम के जीतने पर ख़ुशी महसूस करता है, चाहे वो बारहवा खिलाडी ही हो . लेकिन बारहवें खिलाडी का संतुष्टि का स्तर, प्लेइंग इलेवनवाले खिलाडीयो के समान नहीं होगा । ख़ुशी सब की एक जैसी है पर संतुष्टि में फर्क है | ये फर्क प्लेइंग इलेवन वाले खिलाडीयो के भीतर भी होता है| आपकी संतुष्टि इस बात पर निर्भर करती है कि आपने अपनी टीम को मैच जिताने में किस तरह का योगदान दिया है। ये फर्क है feeling of happiness और feeling of satisfaction में | मेरे हिसाब से satisfaction की feeling आपको long lasting happiness देता है | “हम अपनी तरफ से कुछ contribute किये बिना भी happy हो सकते है, पर बिना contribute किये या बिना achieve किये हम internally satisfy नहीं हो सकते”| और वो happiness momentary होती है | इसका एक और उदाहरण है आज कि young जनरेशन जो social media को बहोत use करके momentary happiness तो फील करते है पर within inside most are frustrated |
Friends, satisfaction या long lasting happiness के लिए count करता है what is your contribution in achieving something for you or your family or your country? | हम सफलता में contribute किये बिना लम्बे समय तक खुश नहीं रह सकते | हम सब यही चाहते है की हमारा परिवार या हमारी society बहुत बड़ी सफलताएं प्राप्त करे और उन सफलताओं में हमारा important contribution हो | इसीलिए भगवत गीता में भी कर्म पर सब से ज़्यादा जोर दिया गया है | बिना कर्म के सफलता हमारे जीवन को complete नहीं बना सकती | इसीलिए आज के frustration कि major reason भी यही है की हम इन सफलताओं में हमारे contribution को establish नहीं कर पा रहे |
हर इंसान के जीवन में कुछ बुनियादी ज़रूरतें हैं … रोटी, कपडा या मकान | एक बार ये बुनियादी जरूरतें पूरी हो जाएं, तो आगे क्या? वह क्या है, जो हमें बुनियादी आवश्यकताओं से ऊपर जीवन में संतुष्टि की भावना देता है? हर इंसान अपने आपको important count कराना चाहता है | We want to be recognized in family, work place, society and country. Actually as per one survey, it was concluded that whatever a person does, after his/her basic needs are met, is for establishing his/her importance/recognition.
Importance प्राप्त करने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी ये है की आप क्या contribute कर रहे हो ? हम लगातार contribute करते हुए और हमारा कर्म करते हुए अपने आप important होते चले जायेंगे | हमे इस बात को हमेशा अपनी awareness में रखना है की what I have done everyday to bring more success to everyone around us.
हमे अपने role को दिन पर दिन और effective बनानां है | हमे identify करना है की वो क्या requirements है जो हमे या हमारी family को और हमारे family businesses को ज़्यादा successful होने के लिए चाहिए | उन् requirements को हम किस तरह से ज़्यादा effectively पूरा कर सकते है | हमे वो knowledge और skills को develop करना चाहिए जिससे हम अपने role को effective और important बना सके |
Life is beautiful gift of god, lets live it with full love, care, affection and with a feeling of completeness. This is easy to do. Take a small step consistently and make it count.